राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राज्य में पारम्परिक खेल गतिविधियों को प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और उचित मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाया जा सकता है. राज्यपाल आज शिमला जिला के ठियोग उप-मण्डल की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संधु में आयोजित ठियोग जोन के अंडर-19 कन्या जोनल टूर्नामेंट के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे.इस अवसर पर प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी खिलाड़ियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, परम्परा और विचार पर्यावरण अनुकूल हैं, इसलिए हमारी परम्परा में पौधों की पूजा पर्यावरण संरक्षण का अभिन्न अंग थी. उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में पर्यावरण का बहुत महत्व है और हमें पर्यावरण के संबंध में सीखने की आवश्यकता नहीं है. पर्यावरण संरक्षण पर विशेष बल देते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों की अनदेखी कर रहे हैं. उन्होंने विद्यालय परिसर में वृंदावन वाटिका विकसित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसमें औषधीय पौधे लगाने का परामर्श दिया.
राज्यपाल ने किताबें पढ़ने का शौक पैदा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य किताबें भी पढ़नी चाहिए. इससे उनके जीवन में सुधार होगा और उनका व्यक्तिगत विकास सुनिश्चित होगा. राज्यपाल ने स्कूल परिसर में वृंदावन वाटिका का शिलान्यास किया. उन्होंने चैंपियनशिप के प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत मार्च पास्ट की सलामी भी ली. राज्यपाल ने विजेता टीमों को पुरस्कार भी वितरित किए.इस अवसर पर दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल शिमला के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लोकिंद्र शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया. इससे पहले, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संधू के प्रधानाचार्य राजिन्द्र सिंह ने राज्यपाल को सम्मानित किया. उन्होंने स्कूल की विभिन्न गतिविधियों और चैंपियनशिप के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की. इस अवसर पर आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया.